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27 Jun 2025 · 4 min read

!!!!अंधविश्वास!!!!

!!!!अंधविश्वास !!!!
यह कहानी उस मास्टर दीनानाथ की है जो एक छोटे से विद्यालय में शैक्षिक कार्य करके परिवार का पालन करते दिन थे। मास्टर जी की कुछ खेती भी थी।
मास्टर जी के तीन बेटियां और एक पुत्र था। पुत्री की जन्म के लगभग 8 वर्ष बाद पुत्र का जन्म हुआ था
मास्टर जी ने अपनी सभी बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाई। मास्टर जी ने अपनी एक बेटे और एक बेटी की शादी कर दी थी। थोड़े दिनों के बाद मास्टर जी का रिटायरमेंट हो गया। अब घर की जिम्मेदारी उनके बेटे पर आ गई।
बेटा एक प्राइवेट कंपनी नौकरी करता था। पहले घर में सब कुछ ठीक चल रहा था। पिता के रिटायरमेंट होने के बाद ही मास्टर जी की बहू और बेटे ने घर की जिम्मेदारियां को उठाने से मना करने लगे। मास्टर जी की दोनों बेटियां अभी पढ़ाई कर रहे हैं। मास्टर जी को उनकी शादी की भी चिंता लगी हुई थी। लेकिन किस्मत में कुछ और ही लिखा था। जो परिवार बहुत खुशी से चल रहा था ।उसमें आए दिन झगड़ा होना शुरू हो गया। मास्टर जी ने परेशान होकर अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दूसरे मकान में जाकर रहने लगे। लेकिन फिर भी लड़ाइयां होना बंद नहीं हुई। खेती का सारा पैसा उनका पुत्र रख लेता था। मास्टर जी के ऊपर परिवार का भार बहुत पडने लगा। मास्टर जी की बेटियों ने देखा कि उनके पिताजी परेशान है तो उन्होंने अपने पिता से परमिशन लेकर नौकरी करना चाहा और दोनों को अच्छी नौकरियां मिल गई। बेटियों की नौकरी से घर का खर्च चलने लगा।पर मास्टर जी की चिंता अलग थी। इसी चिंता के कारण मास्टर की बीमार रहने लगे। उनकी हालत देखकर उनकी पत्नी को भी बहुत गुस्सा आता था। पर क्या करें बेटा कपूत निकल गया तो क्या कर सकते हैं।
समय निकलता गया जैसे तैसे परिवार की जिम्मेदारी बेटियों के कंधे पर आ गए। मास्टर जी के बेटे ने पूरी तरह से अपने माता-पिता से मुंह मोड़ लिया। यहां तक कि वह तीज त्योहार पर भी बहनों और माता-पिता को याद नहीं करता और ना बात करता
मास्टर जी अत्यधिक असहाय हो गए थे।उनका चलना फिरना भी बंद हो चुका था कोई भी दवाई उनको लागू नहीं हो रही थी।
मास्टर जी के बेटे को कई बार सामाजिक लोगों ने समझाया लेकिन उसने कहा कि यदि मेरी पत्नी चली गई तो क्या मेरा क्या होगा। मैं अपनी पत्नी को नहीं छोड़ सकता। मेरे पिता ने, मेरे लिए क्या किया है????
यह बात सुनकर माता-पिता की आंखों में आंसू आ गए और वो रोने लगे।
कुछ दिनों के बाद बहू के कहने पर मास्टर जी के बेटे ने जमीन ज्यादा हिस्से के लिए कोर्ट केस लगा दिया। बेचारी मास्टर जी क्या करते।मास्टर जी की बेटियों ने उनको हिम्मत दिलाए कि पापा आप चिंता मत करो हम लोग सब देखेंगे भैया को समझाएंगे, शायद वह मान जाए। एक दिन दोनों बहने अपने भाई के घर गई और बोली की भाई यह सब कुछ तो आपकी ही है। हमें नहीं चाहिए बस आप घर वापस आ जाओ क्योंकि पिता तुम्हारी चिंता में अधीर हो रहे है। खाना पीना छोड़ दिया बस आपको ही याद करते हैं। बात पूरी होते ही भाभी ने दोनों बहनों को घर से निकलने का बोल दिया। दोनों चुपचाप मायूस होकर घर लौटी आई। पिता ने पूछा बेटा, भैया कैसा है। उसने बोला, आने का। बेटियां क्या बोलती, खड़ी रही। मास्टर जी समझ गए कि आप बेटा मुझे देखने नहीं आएगा।
मास्टर जी की हालत बहुत ज्यादा हो गई और भी दो-तीन दिन में बाद ही मृत्यु हो गई । मास्टर जी की मृत्यु होने पर पारिवारिक और सामाजिक लोगों ने उनके बेटे को सूचना दी। कि आपके पिताजी इस दुनिया में नहीं रहे। बेटे ने मना करते हुए कहा कि मेरा उस परिवार से कोई लेना-देना नहीं है। बहुत समझाने पर वह घर आ गया। लेकिन वहां आने के बाद बोला कि जब तक पिताजी की जगह पर मेरा पूरा हक नहीं होगा तब तक में पिता की चिता को अग्नि नहीं दूंगा। पूरे लोग उसकी बातों को सुनकर चुप हो गए उसे बहुत समझाया लेकिन वह नहीं माना।
जैसे यह बात मास्टर जी की पत्नी के कानों में पहुंची तो ऐसा लगा जैसे किसी ने गरम तेल उसकी दोनों कानों में डाल दिया हो। वह बाहर आई और उन्होंने कहा कोई बात नहीं मैंने बेटे को जन्म ही नहीं दिया तो ,वह कहां से उसके पिता को अग्नि देगा । मेरी तो दो बेटियां हैं वही मेरे पति को अग्नि देगी। समाज के अंधविश्वास के कारण लोग़ मानने को तैयार नहीं हुए।
मास्टर दीनानाथ की पत्नी ने लोगों की बिना परवाह किए, अपनी बेटियों को बोला जाओ बेटी तुम ही अपने पिता अग्नि प्रदान करोगी।आज से सारी संपत्ति और सारे अधिकार में तुम्हें देती हूं।
मास्टर जी की अंत्येष्टि में शामिल हुए लोगों में बहुत विरोध किया लेकिन उनकी पत्नी ने बिल्कुल भी उनकी बात नहीं मानी और अपनी बेटी के हाथों से ही अपने पति को अग्नि दिलवाई। और कहा कि काश ,में बेटे को जन्म नहीं देती। मास्टर जी की पत्नी ने पूरे समाज को दिखा दिया कि बेटे और बेटियां एक समान होती है। हम अंधविश्वास की कड़ी में बदे होने के कारण अपने ही बच्चों के सामने झुकने के लिए तैयार हो जाते हैं। पर हमे ऐसा नहीं करना चाहिए। पंडित दीनानाथ की पत्नी ने यह कर दिखाया कि बेटी भी अपने पिता को स्वर्ग पहुंचा सकती है।
हमें इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि जिस प्रकार मास्टर जी की पत्नी ने समाज की बनाई हुई कुरीतियों को नहीं मानते हुए। अपनी हिम्मत और आत्मविश्वास से एक महत्वपूर्ण निर्णय लेकर अपने पति को शांति प्रदान की।।।।।
डॉ मनोरमा चौहान
(मध्य प्रदेश हरदा)

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