युग युग जिए वो भंते लोग,
युग युग जिए वो भंते लोग,
जिन्होंने ऐसा कदम उठाया है,
इतिहास और बौद्ध विरासत बचाने,
ध्यान साध कर लगे है समझाने।
भूखे प्यासे अनशन करके,
धूप छांव और कष्टों को सह कर,
इतिहास और बौद्ध विरासत बचाने,
बोध गया में डटे है समझाने।।
युग युग जिए वो भंते लोग,
चीवर धारण कर पुण्य कर्म में लगे,
जन जन के कल्याण करने को,
महाबोधि मंदिर पहुँचे पदयात्रा करके।
आँखों में लिए उम्मीद की किरण,
सत्य एक दिन सफलता पाएगा,
खुल जाएंगे नेत्र ब्राह्मण वादियों के,
आ गए है भंते सब इन्हें ज्ञात कराने।।
युग युग जिए वो भंते लोग,
बौद्ध विरासत की गरिमा को रखने,
जन आंदोलन कर क्रांति है जगाई,
धम्म की राह है सही चुनो जन भाई।
आडंबर असत्य से दूर होकर,
बौद्धों के विरासत की रक्षा करने,
फिर एक बार ज्ञान का दीप जलाने,
महाबोधि मुक्ति आंदोलन चलाने।।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।