बिटिया मेरी
बिटिया मेरी जब तुम बड़ी हो जाओगी ,
नाजाने क्या याद रहेगा तुम्हे क्या तुम भूल जाओगी ।
पहले तुम्हारा मेरे हाथ में आना,
एक कपड़े से लिपट तुझे सीने से लगाना ,
शायद ये बात तुम अभी समझ नहीं पाओगी,
पाता लगेगा तब
जब अपनी औलाद को खुद गले से लाओगी ।
छोड़ जाओगी एक दिन ये बसेरा ,
तुम किसी और के मकान को घर बनाओगी ।
तुम्हारी पायल की छम छम से घर गूंजता था मेरा ,
अब तुम बाबुल घर छोड़ पिया घर जाओगी ।
तुम जो छोटी छोटी बात पर मुझसे रूठ जाती थी ,
कल तुम रूठे और उलझे रिश्तों की गांठ को सुलझाओगी ।
मेरी नासमझ बिटिया ,
मेरी लाडो, मेरी लक्ष्मी कल तुम मुझे छोड़ जाओगी।
कब तुम इतनी बड़ी हो जाओगी,
स्कूल के बसते से ,
एक दिन तुम जिंदगी के बसते को कैसे संभाल पाओगी।
तुम मेरा गुरूर हो ,
और हमेशा मेरी आंखों का तारा कह लाओगी ।
इस कुल का नाम बढ़ाया तुमने ,
अब कल तुम दो दो कुल का लाज निभाओगी ।
अपने बाबा को भूल न जाना ,
बिटिया मेरी जब तुम बड़ी हो जाओगी ।
-Prachi verma