आज मुझे खुदको हिंदुस्तानी कहने पर गर्व नहीं
हिंदू-मुस्लिम की लड़ाई आज भी थमी नहीं
अपनी-अपनी खुदारी के चलते किसी में इंसानियत बची नहीं
कैसा है ये देश, महंत के पर्चे बट्टा है
फिर आज क्यों किसी लड़के की हत्या और कोई लड़की आज भी किसी की हवस की शिकार बनी
सोशल मीडिया बेकसूरों की हत्या का सिर्फ बना एक मजाक रही
यहाँ किसी को किसी के दुख-तकलीफों से फर्क नहीं
मुझे आज खुदको हिंदुस्तानी कहने पर गर्व नहीं
कहा जाता है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
अरे यहाँ तो बेटी का जन्म लेना भी किसी जुर्म से कम नहीं
बेटा होने की खुशी मनाई जाती है और बेटी होने पर कोई खुश क्यों नहीं?
मंदिर-मस्जिद की लड़ाई में घमंड किसी का कम नहीं
खून तो लाल ही है ना सबका??
हरा हो या केसरी क्या ये दोनों रंग नहीं?
जब दिवाली में अली है और रमजान में राम है
फिर लोगों को खुदा का डर क्यों नहीं?
कहते हैं यह गोरे-काले में भेद नहीं
लेकिन समाज में यही बना भेदभाव की दीवार रही
किसी लड़की का बलात्कार हो तो पूरी दुनिया निकल रेली रही
और लड़के की हत्या पर सिर्फ मजाक की रील रही
क्या इस समाज में सामान अधिकार का कोई धर्म नहीं?
दहेज लेना देना पाप है , तो तलाक के बाद एल्युमिनी का अधिकार सरकार दे कैसे रही ।
अगर आवाज उठानी है तो सबके लिया उठाओ
पर समाज को हिन्दू मुस्लिम की लड़ाई से फुर्सत नहीं
इसलिए
आज मुझे खुदको हिंदुस्तानी कहने पर गर्व नहीं
-Prachi verma