*नवनिधि क्षणिकाएँ---*
नवनिधि क्षणिकाएँ—
22/06/2025
विरह पीड़ा से पीड़ित व्याकुल मन
प्रियतमा को परोक्ष पाकर रुदन करे
सारी शिकायतें समाप्त हो जाती हैं
तपती धरती को वर्षा की बूँदें मिलती ज्यों।
अरे ओ पीड़ा देने वाले निर्दयी! सुन
तुमको इस बात का पता ही नहीं शायद
दिल छलनी छलनी हो जाता है अत्यधिक
खून के आँसू रोते हैं ये प्यासे अधीर नयन।
पीड़िता के दर्द का अंदाजा लगाने वाले
तुझे इसकी खबर नहीं है शायद अभी तक
उसने अपना सब कुछ गँवा दिया है आज
तुम्हें तो अपने टीआरपी की ही चिंता है।
सहस्त्र बिच्छुओं के डंक को सहा है
गिले कच्चे पर सोकर सूखे पर सुलाया तुझे
तेरा पेट भरने के लिए जो उसने जिल्लतें सही
उसकी पीड़ा को अनदेखा कर जी रहा है आज।
पीड़ा नाशक अगर टेबलेट्स मिलते
तो कोई दर्द से नहीं कराहता यहाँ
जो दर्द भरा है तूने मेरे इस जीवन में
कोई दूसरा इलाज नहीं करता इसका।
पीड़ा से पैदा होता है हमेशा
पीड़ा के साथ मरता भी है
आनंद की एक बूँद पाने के लिए
जन्म से मृत्यु की यात्रा करता है हर जीव।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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