पाखण्डों में भटका मानव, निष्ठा असली क्या जाने।
पाखण्डों में भटका मानव, निष्ठा असली क्या जाने।
अंबर के सिद्धान्त अलग हैं, जल की मछली क्या जाने।
इसमें बडी़ बात क्या जग में, जैसों में तैसे पुजते।
चमक-दमक पर मरती जनता, असली-नकली क्या जाने।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’