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19 Jun 2025 · 1 min read

करे नित्य ही योग जो,रहता सदा निरोग।

करे नित्य ही योग जो,रहता सदा निरोग।
जीवन जीता प्रेम से,करके निज उद्योग।
व्यर्थ अर्थ जाता नहीं,लक्ष्मी रहती साथ।
ओम योग के सार को,समझो कर उपयोग।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

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