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18 Jun 2025 · 1 min read

सदा शक्ति ने ही जग में, बढ़ते अभिमान झुकाए हैं।

सदा शक्ति ने ही जग में, बढ़ते अभिमान झुकाए हैं।
स्वाभिमान में सिर काटे या , अपने शीश कटाए हैं।
मातृभूमि की प्राचीरों की, गाथा जब गायी जाती।
छाती चौडी़ कर झाँसी के, शौर्य सुनाए जाते हैं।।

अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’

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