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16 Jun 2025 · 1 min read

दिन भर खूब कमाया लेकिन, मुँह तक गया निवाला बासी।

दिन भर खूब कमाया लेकिन, मुँह तक गया निवाला बासी।
हम यदि जिम्मेदार न होते, कट ही जाती अच्छी- खासी।
अपना सब अपनों में देके, अपने हक बस इतना आया।
तंग जेब, उम्मीद अधूरी, कुछ ताने, कुछ थकन, उदासी।।

अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’

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