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8 Jun 2025 · 2 min read

महादेवी वर्मा और वो लड़का

संस्मरण

महादेवी वर्मा…और वो लड़का

बॉस -महादेवी वर्मा के बारे में क्या जानते हो?
– जी कुछ नहीं।
बॉस – महादेवी का नाम नहीं सुना ?
– जी नहीं। कभी मिला नहीं।
बॉस – जय शंकर प्रसाद को जानते हो?
– जी, कभी मिला नहीं।
बॉस – और निराला…?
– जी यह कौन थे?
बॉस – फिर तो छायावाद भी नहीं जानते होंगे?
– हमारे गांव में तो बहुत रहती है।

यह कुछ इंटरव्यू के अंश हैं। पत्रकारिता के लंबे जीवन में मैं इसको नहीं भूलता। हुआ यूं, एक बच्चे का बॉस से इंटरव्यू कराया। लड़का तेज था। गांव के परिवेश का था। तब बालों में भी सरसों का तेल लगता था। उसके कुछ ज्यादा ही लगा था। अजब गजब जवाब देने से वो रिजेक्ट हो गया। बॉस ने कहा, इस लड़के को तो महादेवी तक का पता नहीं। यह क्या काम करेगा?
मैंने कहा, यह अपने काम में माहिर है। टाइपिंग स्पीड इसकी बहुत तेज है। भाषा पर पकड़ है?
भाषा पर पकड़ है? यह सुनकर बॉस बोले – खाक पकड़ है। अगले को छायावाद तक पता नहीं। ।
मैंने अनुरोध किया तो उस बच्चे का टाइपिंग टेस्ट लिया गया। आप विश्वास नहीं करेंगे, उसने आधे घंटे में सब प्रेस नोट लिख मारे। एक खबर भी लिखी। सुंदर शब्द शिल्प के साथ।
खबर किसने लिखी है यह? बॉस ने पूछा।
मैंने कहा, उसी ने, जिसको महादेवी वर्मा का नाम पता नहीं था?
बॉस ने कहा, बुलाओ उसे?
वह लड़का फिर अदालत में हाज़िर हुआ। बॉस ने कहा, तुम तो बहुत अच्छा लिखते हो। फिर क्यों हड़बड़ा गए। क्या सचमुच तुमको महादेवी का नाम पता नहीं था या…?

अब उस बच्चे का जवाब सुनिए।

– जी। पता था। अगर बता देता तो आप कहते, कविता सुनाओ? मेरा गला खराब है। गा नहीं सकता।

बॉस को हंसी आ गई। बहरहाल उसको नौकरी मिली। ऊंचे पद पर भी गया। बाद में, उसने महादेवी वर्मा पर ही पीएचडी की।
– किसने किस का इंटरव्यू लिया, कह नहीं सकते। लेकिन #अरुण जैमिनी भाई की कविता याद आ जाती है..लालकिला और ताजमहल सही सही बता देता तो क्या रख लेता…?

कभी कभी जीवन में जो दिखता है, वो होता नहीं। जो होता है, वो दिखता नहीं। हर आदमी हर चीज में मास्टर नहीं हो सकता। यही जीवन का रहस्यवाद है।

सूर्यकांत

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