मधुमालती छंद
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मधुमालती छंद
मापनीयुक्त मात्रिक
2212 2212
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घनश्याम तुमको टेरता ।
माला तुम्हारी फेरता ।।
सुधि आन करके लीजिये ।
प्रभु दर्श अपना दीजिये ।।
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री लेखनी! तुझसे कहूँ ।
जब हाथ में तुझको गहूँ ।।
लिख वंदना के छंद तू ।
रुकना न होना मंद तू ।।
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लिखना अनौखी गीतिका ।
रच गीत प्यारा प्रीति का ।
कुछ छंद लिखना प्यार के ।
मत बैठ जाना हार के ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
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