बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -219 के श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -219
दिनांक -7.6.2025
प्रदत्त शब्द- भिनकती/ भिनकती
संयोजक राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
1
भिनकत फिरवैं सजन जू,नइ परवाउत पांव।
दान दायजो नइ मिलो,छूंचौ करो बियाव।।
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-आशा रिछारिया ( निवाडी)
2
माँछी भिनकत आँग पै,तन में रये न तत्त।
प्रान पखेरू उड़ गये, राम नाम है सत्त।।
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-एस. आर. ‘सरल’, टीकमगढ़
3
जिते भिनकती पाँत है,हौय अन्न अपमान।
लुड़कत सबरौ रायतौ,ढ़ौर खात मिष्ठान।।
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_ सुभाष सिंघई, जतारा
4
दार भिनकती थार में,देखें उलटी होय।
तुरत फैंक दो बायरें,ननतर मारें तोय।।
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-वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
5
उन लोगन के नाम पे,माछी भिनकत आज।
जिन ने अपनी बैंच दइ, खानदान की लाज।।
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-बिंद्रावन राय ‘सरल’, सागर
6
घर दोरे उजरे रखौ,भिनकत से नै रायँ।
साप सपाई हो जहां, बीमारी नै आयँ।।
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-तरुणा खरे’तनु’ ,जबलपुर
7
भिनकत तन तन बात पै ,तनक गंम्म नइॅं खाय।
यैसौ सनकी आदमी,मूरख असल कहाय।।
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-आशाराम वर्मा “नादान’,पृथ्वीपुर
8
माॅंछी भिनकती देखकें,काय भगाउत नाॅंइ।
रोग फैलतइ इनइं सें, इन्हें बचवौ चाॅंइ।।
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– रामसेवक पाठक ‘हरिकिंकर”, ललितपुर
9
सतभर्रे कौ काम तौ, ऊसइ भिनकत रात।
सोंजयाइ के बाप खों, कभउँ लडैया खात।।
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– डॉ. देवदत्त द्विवेदी बड़ामलहरा
10
मांछी भिनकत ढोर पै,गीध रहे मड़रायँ ।
पर मानव के काम पै,गीध तलक नै खायँ ।।
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-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
11
बिना ढँकौ ना खा लियौ,पर जैहौ बीमार ।
माछीं भिनकैं सब जँगा,ढाँकौ रोटी-दार ।।
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-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
12
जो धन छीन गरीब कौ,करत ओइ पै राज।
मौं पै माछीं भिनकतीं,होत कोढ़ में खाज।।
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– अंजनीकुमार चतुर्वेदी निबाड़ी
13
चूले सें हडिया गिरी,भिनकत कडी दिखाय।
जो ना होबै भाग में,मौं में सें गिर जाय।।
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-रामानन्द पाठक ‘नन्द’, नैगुवां
14
नेतन की का कात हो,सरमत इनसैं लाज।
जनता रौवे नाव को,भिनकत सबरै काज।।
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-श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा
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© संयोजक राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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