बाद तुम्हारे मुझसे मेरे, सावन होली छूट गये।
बाद तुम्हारे मुझसे मेरे, सावन होली छूट गये।
सूतक- से सूने माथे के, चंदन – रोली छूट गये।
तुम जाकर भी मेरे मन में, खुद को ऐसे छोड़ गयीं।
याद तुम्हारी आते ही सब, माला -झोली छूट गये।।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’