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31 May 2025 · 1 min read

बाद तुम्हारे मुझसे मेरे, सावन होली छूट गये।

बाद तुम्हारे मुझसे मेरे, सावन होली छूट गये।
सूतक- से सूने माथे के, चंदन – रोली छूट गये।
तुम जाकर भी मेरे मन में, खुद को ऐसे छोड़ गयीं।
याद तुम्हारी आते ही सब, माला -झोली छूट गये।।

अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’

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