तुमसे ही रातों की रौनक , कुछ भी नहीं सितारों पर।
तुमसे ही रातों की रौनक , कुछ भी नहीं सितारों पर।
सब तो अपने साथ ले लिया ,क्या ही रखा बहारों पर।
अश्क़ लकीरें खींच रहे हैं, कैसा हाय! मुकद्दर है।
तुमको तो चुंबन रखना था, मेरे इन रुख़सारों पर।।
अंकित शर्मा ‘इषुप्रिय’