जैसे जैसे घटते जाते गाँव।
जैसे जैसे घटते जाते गाँव।
वैसे वैसे घटती ममता छाँव ।
शहरी बनने का यह कुत्सित भाव।
हरता नित मानव की उत्तम ठाँव।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
जैसे जैसे घटते जाते गाँव।
वैसे वैसे घटती ममता छाँव ।
शहरी बनने का यह कुत्सित भाव।
हरता नित मानव की उत्तम ठाँव।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम