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29 May 2025 · 1 min read

जैसे जैसे घटते जाते गाँव।

जैसे जैसे घटते जाते गाँव।
वैसे वैसे घटती ममता छाँव ।
शहरी बनने का यह कुत्सित भाव।
हरता नित मानव की उत्तम ठाँव।।
डॉ ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम

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