"हर क़िरदार की अपनी एक कहानी होती है"
हर क़िरदार की अपनी एक कहानी होती है,
रूहानी आवाज़ महज़ दिल बयानी होती है!!
वो शराब भी जितनी ज़्यादा पुरानी हो जाए,
यूँ नश्शा चढ़ने में उतनी ही आसानी होती है!!
बतानी पड़ती है सच्चाई भी अब झूठ बोल के,
यूँ जो सुनाते हैं उसमें अपनी ज़ुबानी होती है!!
यूँ बेअसर साबित होती रही ज़िंदगी से गुफ्तगू,
ख़ुद की ज़िंदगी भी बड़ी तन्हा बितानी होती है!!
मसअला ये कि दुनिया भी ख़ूब जानती है हमें,
यूँ गम भी मुस्कुराहटों के पीछे छिपानी होती है!!
यूँ सदाकत भी थोड़ी सी बचा के रखना झूठ से,
ख़ुद के क़िरदार में ही ख़ुद की कहानी होती है!!
बहुत अच्छा लगता है देख महफूज़ जिंदगियां,
बारिशों में सर ढकने एक छत बनानी होती है!!
नापी जाएगी मंज़िलें भी अब अपने हौसलों से,
ज़िंदगी भी हमें धूप-छांव सी गुजारनी होती है!!
ऐसा लगता है जैसे एहसान उतार रहा हो कोई,
ख़ुद की क़ीमत के लिए मोल चुकानी होती है!!
अहद भी हमारे लिए बहुत ज़रूरी है ज़िंदगी में,
ख़ुद के लिए भी ख़ुद से जगह बनानी होती है!!
जानी पहचानी लगती है खूबसूरत जहां भी अब,
मंज़िल भी कूच-ए-इश्क़ के लिए वीरानी होती है!!
इश्क़ में हसीन पल भी साथ हमने गुजारे हैं बहुत,
अब ज़वानी यूँ फुर्कत में गुजरे तो हैरानी होती है!!
कितने छलकाए जाम हमने तड़पकर मयखाने में,
अश्क जो यूँ आंखों से छलके तो नादानी होती है!!
रस्म-ए-दूरी तय करने में कुछ खास हो या ना हो,
वस्ल-ओ-हिज्र के दरमियान जुदा ज़वानी होती है!!
तेरे रुह के तसव्वुर में शामिल हैं मेरे अधूरे जज़्बात,
जो समझ में न आए, मोहब्बत के मआनी होती है!!
दरिया भी मुसाफ़िर बन मंज़िल की ओर बढ़ चली,
यूँ समंदर से टकराते वक्त मौजों की रवानी होती है!!
कटती चली जाएगी मायूस सी ज़िंदगी तन्हाइयों में,
जो कट जाती है रोते हंसते हुए वो जिंदगानी होती है!!
हक़ीक़त-ए-इश्क़ की तलाश में फ़िर सुकून की तमन्ना,
हर दम ज़मीन-ओ-आसमाँ से दूर रहने में चाहतों की राएगानी होती है!!
पल दो पल ज़िंदगी के, जी भर जीने को नसीब हों,
वो आरजुएं भी शह-मात के सफ़र में गंवानी होती है!!
मदहोशी में गुजरी तमाम शब तेरी हुस्न की चाहत में,
इश्क़ में सर-बसर वो ज़वानी भी नई ज़वानी होती है!!
नेक इंसान कभी बदलता नहीं अपनी फितरतें “रईस”,
यूँ विरासतों में मिले उसके तेवर भी खानदानी होती है!!
©️🖊️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”
बिलासपुर, छत्तीसगढ़