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21 May 2021 · 1 min read

भोर वंदन

जीवन अंतहीन संभावना
क्यों इससे घबराए रे
विपरीत बना है समय यदि
स्वर्णिम अवसर भी आये रे।

छोड़ निराशा दृष्टि बदलो
अवसर को पहचानो रे
दिवस निशा अनुभूति जरूरी
मूल मंत्र सब जानो रे।

रजनी बीती हुआ सवेरा
प्रभु की अजब लीला न्यारी रे
उस ईश्वर की रचना समझो
जीवन एक फुलवारी रे

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