सन् 62 की वो अमर कहानी
ऐ मेरे भारतवर्ष के लोगों
ज़रा आंख में भर लो पानी
तुम भूल कभी मत जाना
सन् 62 की वो अमर कहानी
मत भूलो सीमा पर
वीर अहीरों ने है प्राण गंवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो
जो लौट के घर न आये
जब घायल हुआ था शीश भारतीय
ख़तरे में पड़ गई आज़ादी
जय दादा किशन की हूँकार भर
टूट पड़े थे रण में बलिदानी।
जब देश में थी दीवाली
उन्होंने खेली थी खून की होली
जब हम बैठे थे घरों में
अहीरों ने झेली सीने पे गोली
जो लड गए बिना अस्त्र शस्त्र
वो यदुवंश का पवित्र रक्त
श्रंगार मात भारतीय का
प्राणों से जिसने अपने किया
वीर थे वो रणधीर थे
यदुवंश के वे कुलदीप थे
कैसे पीछे कदम हटा लेते
वो तो वीर अहीर थे
𝐊𝐚𝐯𝐢 ~ 𝐘𝐀𝐃𝐀𝐕𝐈 ~ ईशा सिंह यदुवंशी 🍁