क्षणिकाएं!:-1-बात का बतं -गड बनाने वाले!
1-विजय शाह,
क्या कह गया,
बीरबाला को,
आतंकियों की,
बहन बतलाया,
और साथ में,
मोदी को लपेट लिया,
जिनके कहने पर,
आतंकियों की ऐसी तैसी करायी,
धीरे से धर्म की अफ़ीम चटाई,
दोनों ओर से धर्म की आड ली जाती है,
शर्म कहाँ किसी को आती है!
2-जगदीश देवड़ा,
लगता है पक्का पेवडा,
जो मुंह में आया कह गया,
सेना को मोदी के चरणों में,
नतमस्तक कर गया,
वाह भाई वाह,
चापलूसी की हद पार कर दी,
मंत्री पद की भद पिटा के रख दी,
और कायम है अपने पद पर,
लाया नहीं गया अनुशासन की जद पर!
3-रामकृष्ण जागडा,
देखो कैसी हांक रहा,
अनाप सनाप फांक रहा,
महिलाओं की वीरता पर झांक रहा!
वीरांगना की देकर सीख,
हाथ जोड़ कर क्यों मांगी भीख,
दिखाना था रौद्र रूप,
लेकर अहिल्याबाई का स्वरुप!
हाथों में रखने थे लाठी डंडे,
कर देते दो चार को वहीं ठंडे,
मोदी ने दिया था ज्ञान,
नहीं रखा इतना भी मान!
है नहीं इतना भी भान,
रखी थी उन्होनें रायफल तान,
ऐसे में निहत्थे और क्या करते,
मौत सामने खडी देख रहे थे,
कुछ करते तब भी मरते,
और ना जाने कितनों की जान पर आ पडती,
लाशों से पूरी घाटी अटी पडती,
चुप रह कर कितनी ही जिंदगी बचा गये वो,
शहादत दी है उन्होंने, शहीद कहला गये वो,
और उन मासूमों ने,
अपनी आँखों से मौत का तांडव देखा जिन्होंने,
इतना सब कुछ सह कर भी,
हिंदू मुस्लमान नहीं किया उन्होंने!!