मैं भारत बर्ष से आया हूं, सिंदूर दहकता लाया हूं
मैं भारत बर्ष से आया हूं, सिंदूर दहकता लाया हूं
आज समूची मानवता पर, आतंकवाद का खतरा है
लाल हुआ निर्दोष खून से, धरती का कतरा कतरा है
मैं भारत बर्ष से आया हूं, सिंदूर दहकता लाया हूं
पाक नहीं नापाक है ये, दुनिया को बताने आया हूं
कट्टरवाद मजहब की आड़ में, दहशतगर्दी पलती है
आई एस आई और सेना की, यहां हुकूमत चलती है
तीन दशक से पीड़ित हूं मैं,चेताने तुमको आया हूं
आतंकवाद के खात्मे को, सिंदूर दहकता लाया हूं
दुनिया से आतंकवाद की, जड़ें मिटाने आया हूं
पाकिस्तान आतंक का अड्डा, सेना उसकी शामिल है
वेकसूर निर्मम हत्याओं में, धार्मिक कट्टरता कातिल है
धर्म पूछ कर मार रहा, हिन्दू सिक्ख यहूदी को
ईसाई बन गये निशाने, नहीं छोड़ते काफिर को
अभी तो मार रहा है हिन्दू,अगली आप की बारी है
नहीं मिटाया आतंकवाद तो, मिटेगी दुनिया सारी है
सारी दुनिया को सिंदूर से, मैं चेताने आया हूं
मैं भारत बर्ष से आया हूं, सिंदूर दहकता लाया हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मैं भारत बर्ष से आया हूं, सिंदूर दहकता लाया हूं