धैर्य परीक्षा भी होगी और
धैर्य परीक्षा भी होगी और
भीषण-रण भी होना है
बांध सबर का टूटेगा तब
आतंक धरा से खोना है
जिसने लहू बहाया है
अब उनका चैन भी खोना है
खोज लायेंगे नभ जल से
फिर अवनि बने बिछौना है
है कसम हमें उन छब्बीस की
जो परिवारों का सोना हैं
दुश्मन को माफी नहीं मिले
अपराध ये जघन्य घिनौना है
✍️🇮🇳 अरविंद गिरि (स्वरचित)..