Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
5 May 2025 · 1 min read

हाथों में छाले हैं फिर भी सपनों को पाले हैं

घर में दिया के बजाय चांद सूरज से उजाले है
हाथों में छाले हैं, फिर भी सपनों को पाले हैं

पसीना छुट जाता चिलचिलाती धूप में
पांव में छाले पड़ जाते हैं गर्म धूल में
मन उजला है मगर चेहरे धूप से काले है
हाथों में छाले हैं फिर भी सपनों को पाले हैं

तिनका तिनका महल बनाने की कोशिश है
सहरा में भी पेड़ लगाने की कोशिश है
कल क्या आज ही नहीं भरपेट निवाले है
हाथों में छाले हैं फिर भी सपनों को पाले हैं

रास्ते पथरीले और मंजिल बहुत दूर है
पांव में जूते नहीं लेकिन मन में सुरूर है
कई जिम्मेदारी अपने कंधों पर डालें हैं
हाथों में छाले हैं फिर भी सपनों को पाले हैं

नूर फातिमा खातून नूरी
जनपद -कुशीनगर

Loading...