मेरी बेटी संभाल के
बैठे हैं यहां भेड़िए भेड़ की खाल में,
तू हर कदम रखना मेरी बेटी संभाल के।
माता-पिता का मन तू,भाई का है अभियान।
भारत का बना गौरव, करना ऊंचा इसका नाम।
झुकना नहीं कभी तू, दुश्मन के सामने।
तू हर कदम रखना, मेरी बेटी संभाल के।
बैठे हैं यहां भेड़िए, भेड़ की खाल में।
तू हर कदम रखना, मेरी बेटी संभाल के।
रिश्तों में ना हो मान, उनका करना तिरस्कार।
बनना तू स्वाभिमानी, रखना ऊंचे संस्कार।
फंसना नहीं कभी तू, दुश्मन के जाल में।
तू हर कदम रखना, मेरी बेटी संभाल के।
बैठे हैं यहां भेड़िए, भेड़ की खाल में।
तू हर कदम रखना, मेरी बेटी संभाल के।
स्वरचित मौलिक रचना
सनातनी दिव्यांजलि वर्माअयोध्या उत्तर प्रदेश