*खत्म हो आतंक-आतंकी*
बहुत हुआ आतंक-आतंकी, इनको नंगा करवा दो।
जो देता है पनाह इनको, उनसे भी ये फरमा दो।
रखकर तोप के आगे इनको,बम से इनको उड़वा दो।
धड़ से शीश अलग कर इनका, हर चौराहे पर टंगवा दो।
नजर उठाई जिसने हम पर, उसको सूली चढ़वा दो।
खत्म हो आतंक-आतंकी खाल में भूसा भरवा दो।।१।।
किसी की बीवी बच्चे मारे, बेगुनाहों का किया शिकार।
कब तक तेरा हम सहेंगे, क्रूर धोखा अत्याचार।
अस्मत भी ना बचा पाएगा, देखेगा सारा संसार।
एक के बदले सौ मारेंगे, सुन लो आतंकी जल्लादों।
नजर उठाई जिसने हम पर, उनको सूली चढ़वा दो।
खत्म हो आतंक-आतंकी खाल में भूसा भरवा दो।।२।।
हम डरे नहीं गीदड़ भभकी से, तू सुन ले पाकिस्तान।
मानवता के लिए बना है, तू जग में शैतान।
नक्शे में ना जगह मिलेगी, शांत स्वर में समझा दो।
जो छुपकर पीठ पीछे वार करे, औकात उसकी दिखला दो।
नजर उठाई जिसने हम पर, उनको सूली चढ़वा दो।
खत्म हो आतंक-आतंकी खाल में भूसा भरवा दो।।३।।
बहुत हो गईं घिनौनी हरकत, कान खोलकर सुन ले तू।
बाप हमेशा बाप होता है, ये दिमाग में धर ले तू।
जाहिल गंवार सी करतूतें , इनमें सुधार कर ले तू।
दुष्यन्त कुमार कहता खुलकर है, सुनो नामर्द की औलादो।
नजर उठाई जिसने हम पर, उसको सूली चढ़वा दो।
खत्म हो आतंक-आतंकी खाल में भूसा भरवा दो।।4।।