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5 May 2025 · 2 min read

मिसेज इंडिया डॉ. रागिनी पाण्डेय – एक प्रेरणादायी जीवन यात्रा

मिसेज इंडिया डॉ. रागिनी पाण्डेय – एक प्रेरणादायी जीवन यात्रा

डॉ. रागिनी पाण्डेय का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद के पलहीपार गांव में एक साधारण ग्रामीण परिवार में हुआ। बचपन से ही उनमें नेतृत्व, सेवा और सामाजिक सरोकार की भावना प्रबल रही। उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया महाविद्यालय, महावीर छपरा से उच्च शिक्षा प्राप्त की।

विवाह के बाद उन्होंने पारिवारिक दायित्वों के साथ-साथ सामाजिक कार्यों को भी भरपूर प्राथमिकता दी। वे मिसेज इंडिया 2022 का खिताब जीतने वाली भारत की पहली ग्रामीण पृष्ठभूमि की महिला हैं, जिन्होंने चूल्हा-चौका और परंपरागत जीवन से निकलकर राष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रभावशाली पहचान बनाई।

उनके पति सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ पाण्डेय “धरा धाम इंटरनेशनल” के संस्थापक हैं, जो सर्वधर्म सद्भाव और वैश्विक शांति के लिए कार्यरत एक अनूठी पहल है। डॉ. रागिनी उनके साथ मिलकर महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण, रक्तदान, देहदान और सामाजिक सेवा के विविध अभियानों में सक्रिय योगदान देती हैं।

उन्होंने अपनी शादी के दिन पौधारोपण कर “हरियाली शादी” का संदेश दिया, जो आज कई नवदंपत्तियों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने और उनके पति ने देहदान का संकल्प लेकर समाज को सेवा और समर्पण का संदेश दिया।

उनकी सुपुत्री श्वेतिमा माधव प्रिया विश्व की सबसे कम उम्र की श्रीमद्भागवत कथावाचिका हैं, जबकि पुत्र सौराष्ट्र धर्म-आध्यात्म और संस्कृति के क्षेत्र में अध्ययनरत हैं।

डॉ. रागिनी आज लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं — एक जीवित प्रमाण कि दृढ़ संकल्प और सेवा भावना से कोई भी महिला देश और समाज के लिए मिसाल बन सकती है।

“गाँव की बेटी, देश की शान — डॉ. रागिनी पाण्डेय”

गोरखपुर की माटी से, उगती एक किरण हुई,
संस्कारों की छाँव में पली, दीप सी धरण हुई।
पलहीपार की पगडंडी से, सपनों की उड़ान भरी,
नेतृत्व की नन्ही चिंगारी, सेवा की बन गई परी।

ना सोने का महल मिला, ना ही रेशमी चौखट थी,
पर धैर्य, तप और साहस की, हर साँस एक संपत्ति थी।
मिसेज इंडिया का ताज सजाया, चूल्हे की राख से निकली जो,
दिखा दिया दुनिया को उसने, शक्ति है नारी, कोई न शो।

हरियाली शादी का दीप जलाया, पेड़ों से वचन निभाया,
देहदान कर मानवता को, अमरत्व का पाठ पढ़ाया।
श्वेतिमा-सी ज्ञान की धारा, सौराष्ट्र-सा तेज समाया,
घर भी रचा, संस्कार दिए, हर रिश्ते को सच्चा निभाया।

और साथ चले जिनके जीवन में,
वे कोई साधारण पुरुष नहीं,
सौहार्द शिरोमणि संत डॉ. सौरभ जी,
जिनकी सोच में बसी है धरा धाम की अनोखी वाणी।

धर्मों के बीच सेतु बनाकर, मानवता का संदेश दिया,
रागिनी संग मिल सेवा का, एक अनुपम पर्व रचा।

ना रुकी कभी आँधियों से, ना डरी किसी चोट से,
वो तो नारी है, नरम भी है, पर पर्वत-सी ओट से।

वह गाँव की बेटी बनकर चली, देश की शान बन गई,
संत-संगिनी सेवा-पथ पर, सदी की पहचान बन गई।

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