राष्ट्र हित
जागिए राष्ट्र हेत राष्ट्र की आवाज है
कह रही मिट्टी ये नया आगाज है
राष्ट्र धर्म के लिए तन मन धन बार दिए
वन्दे मातरम बोलकर प्राण भी गंवा दिए
कन्याकुमारी से कश्मीर राष्ट्र मेरी पहचान है
मेरा राष्ट्र मेरी धरती कण कण में तूफान है
राम कृष्ण चंद्रगुप्त अशोक बप्पा रावल का इतिहास है
वीर प्रसूता भारत माता यहां स्त्री शक्ति का परिभाष है
राष्ट्र हित कुछ कर्म कीजिए लेख कविता बोलिए
राष्ट्र चेतना को जगाकर एक नव शंखनाद कीजिए