मुक्तक
मुक्तक
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जाम से जाम जब यूॅं ही टकराएंगे,
चाॅंद तारे जमीं पर उतर आएंगे।
गम भुलाने को महफिल सजाई थी ये,
जख्म गहरे कभी वह न भर पाएंगे।।
~राजकुमार पाल (राज) ✍🏻
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)