Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
4 May 2025 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
——–
जाम से जाम जब यूॅं ही टकराएंगे,
चाॅंद तारे जमीं पर उतर आएंगे।
गम भुलाने को महफिल सजाई थी ये,
जख्म गहरे कभी वह न भर पाएंगे।।
~राजकुमार पाल (राज) ✍🏻
(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित)

Loading...