छोड़ गये हो किस आँगन में,
छोड़ गये हो किस आँगन में,
सिसक रही है वादी सारी….
भींगी पलकों की दो बूँदें,
सींच रही हैं क्यारी-क्यारी…
कब तक आओगे तुम बोलो,
साँसें पूछ रही हैं बारी-बारी…
शुभम आनंद मनमीत
छोड़ गये हो किस आँगन में,
सिसक रही है वादी सारी….
भींगी पलकों की दो बूँदें,
सींच रही हैं क्यारी-क्यारी…
कब तक आओगे तुम बोलो,
साँसें पूछ रही हैं बारी-बारी…
शुभम आनंद मनमीत