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3 May 2025 · 1 min read

छोड़ गये हो किस आँगन में,

छोड़ गये हो किस आँगन में,
सिसक रही है वादी सारी….

भींगी पलकों की दो बूँदें,
सींच रही हैं क्यारी-क्यारी…

कब तक आओगे तुम बोलो,
साँसें पूछ रही हैं बारी-बारी…

शुभम आनंद मनमीत

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