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26 Apr 2025 · 1 min read

*मन के रंग * एक नई कविता हिंदी

मन के रंग

मन के कोरे कागज पर,
ख्वाबों की रंगोली भर दूँ,
धूप अगर तपती आए,
छाँव की चादर मैं कर दूँ।

चुप्पी की गलियों में जाकर,
बातों की बारात सजाऊँ,
आँखों के सूने आँगन में,
हँसी के दीपक मैं जलाऊँ।

थोड़े से आँसू, थोड़ा हँसना,
सबको दिल से बाँट आऊँ,
जीवन की हर टेढ़ी राह में,
सपनों के फूल उगाऊँ।

✍️📜जितेश भारती

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