*मेरे स्कूल के दिन*
मेरे स्कूल के दिन
स्कूल के वो सुंदर दिन,
कष्टों में था बीता बचपन।
रहती मस्ती की बहार,
पढ़ने को रहते तैयार।
आपस में मिलकर रहना पढ़ना,
लड़ाई झगड़ों से परहेज करना।
मिल बाँटकर चीज खाना,
यह आज भी मुझको भाता है।
वो पल आज याद भी आता है।।१।।
स्कूल में था फर्स्ट स्थान,
गलत न हो पकड़े थे कान।
गुरु का करता मान सम्मान,
अनुशासन से करते काम।
छ: किमी रोज पैदल चलना,
मजदूरी भी साथ में करना,
इन्हें कौन भूलाना चाहता है।
वो पल आज याद भी आता है।।२।।
लड़ाई झगड़ों से दूर रहे,
आर्थिक स्थिति में मजबूर रहे।
कक्षा में आगे रहना बनकर तेज,
ताका-झांँकी से किया परहेज।
ज्यादा नहीं कुछ खासम-खास,
कष्ट झेला और भूख प्यास।
पढ़ाई का यह सफर निराला,
दुष्यन्त कुमार नहीं भुला पाता है।
वो पल आज याद भी आता है।।३।।