बैशाखी
दशमेश पिता गोविंदगुरु
चरणों में है शत कोटि नमन।
तेरे उपकार से उऋण नहीं,
भारत अवनी का हर जन जन।
तुम सत्यपुरुष के प्रिय पुत्र,
आये थे जीवों को तारन।
चहु वर्णों पर सन्ताप देख,
कृपाण लिया जुल्मी कारन।
बैशाखी दिन तैयार किया,
एक पंथ खालसा दशम गुरु।
सतगुर के सन्त सिपाहियों ने
जुल्मी को कर दिया भस्म शुरू।
चौदह रण मुगलों के खिलाफ,
है फतेह किया तुमने लड़कर।
सर्वंश वार दिया जनहित में,
कोई न त्यागी तुम सा बढ़कर।
दुनियां में कोई न दे सकता,
सारे बेटों की कुर्बानी।
हे!बाजांवाले कलगीधर,
त्रिलोक में तेरी न सानी।