भारतीय संस्कृति और नैतिकता

भारतीय संस्कृति और नैतिकता
भारतीय संस्कृति का निर्माण हमारी प्राचीन परंपराओं का परिमार्जित स्वरूप है, इस स्वरूप के कारण हमारी पीढ़ी दर पीढ़ी नैतिकता बलवती हुई है! दुनिया में ऐसी कोई भी संस्कृति नहीं है जो हमारी भारतीय परंपरा का कुछ ना कुछ प्रतिबिंब ना रखती हो, इसी का परिणाम है कि आज पश्चिमी देश भी संस्कृति और नैतिकता के मामले में भारत भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देखते हैं और उसका अनुकरण करते हैं हमारी संस्कृति में आध्यात्मिक शांति निहित है जो सभी मैं वसुदेव कुटुंबकम की भावना पोषित करती है ग्रामीण पृष्ठभूमि मैं नैतिकता अपने चरमोत्कर्ष का प्रतिबिंब प्रदर्शित करती है कालांतर यदि कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो आज भी सभी भारतीय सामाजिक परिवेश में एक दूसरे का सहयोग करने में कभी भी पीछे नहीं हटते हैं इसके अनूठे उदाहरण हमने विभिन्न प्रकार की आपदाओं में देखे हैं जिसमें स्वयं की परवाह किए बिना मानव जाति की रक्षा में लोग अपना सर्वस्व समर्पित करने के लिए तत्पर रहते हैं हमारे प्राचीन ग्रंथ भी समर्पण के इसी भाव का परिचायक है!