*बातें करते करते*

शाम हो जाएगी उनसे बातें करते करते,
फिर भी मन करेगा उनसे और बातें करते।
न जाने क्या कशिश है उनमें ऐसी,
ज़िंदगी गुज़ारना चाहता हूं मैं उनसे बातें करते करते।
हर लफ़्ज़ उनका लगता है जैसे कोई गीत,
हर मुस्कान में छुपी है कोई अनकही प्रीत।
वक़्त थम जाए या घड़ी रुक जाए,
बस चलती रहे ये मीठी सी बातचीत।
न चाय की ज़रूरत, न किसी और चीज़ की,
उनकी बातों से मिट जाती है मेरी हर थकान।
उनकी आवाज़ ही देती है मुझे सुकून हर पल,
हर उलझन का जवाब बन जाए उनका बयान।
चांदनी भी शरमा जाए उनके लहज़े से,
हर बात में छुपा है एक जादू सा एहसास।
हवा भी ठहर जाए उनके लफ़्ज़ों के साये से,
जिसे सुनते ही खिल उठता है मेरा मन उदास।
वो जब हंसते हैं, तो लगता है कोई राग बज रहा है,
उनकी खामोशी भी करती है बातें मुझसे।
मेरे हर सवाल का जवाब दे जाती है वो बिन कहे,
मेरे हर दर्द का मरहम मिलता है मुझे उससे।
ना चाह है किसी और मंज़िल की, न कोई सफ़र चाहिए
बस उनका साथ चाहिए ज़िंदगी के अंत तक।
हर रोज़ हो मुलाकात यूं ही दिल से दिल तक,
हर बात में हो मोहब्बत आख़िरी सांस तक।
कभी किताबों से बात करता था मैं,
अब उनकी आंखों में पूरी कहानी पढ़ता हूं।
वो जब बोलते हैं, तो लगता है खुदा बोल रहा है,
उनके लफ्ज़ों में मैं हर दुआ को सुनता हूं।
अब ये उम्र उनकी बातों में ही गुजर जाए,
वो साथ हो , तो तन्हाई भी मुस्कुराती है
उनके बिना लगे सब अधूरा, सब सुना यहां
और उनके साथ लगता है जैसे नज़्म कोई गाती है।
वो रूठ जाएं तो दिल कांप उठता है
और जब वो मान गया तो मेरा जहान महक गया।
बस उनकी बातों में ही खुद को पा लिया है मैंने
बातों ही बातों में उनसे प्यार हो गया।
वक़्त यूं बीते फिसलती है जैसे रेत मुट्ठी से,
फिर भी चाहूं वही लम्हा, वही बात अधूरी सी।
कह दूं उन्हें —
ज़िन्दगी का हर पल तुझमें ही बनता है,
तू बात करे, तो लगता है सब कुछ चलता है।