हम अपना दर्द बांटें या ना बांटें पर हंसी बांटें

हम अपना दर्द बांटें या ना बांटें पर हंसी बांटें
भुलाकर सारे गम अपने सभी के संग खुशी बांटें
है यारी मौत से अपनी वो एक दिन आके मानेगी
उसके आने तक क्यों न सबको जिंदगी बांटें
माना कि हम मुफलिसी में जी रहे हैं मगर
हो दामन में एक कतरा भी खुशी तो वो ही बांटें
……✍️ अरविंद गिरि