मुक्तक

मुक्तक
मेरे तीखे बोल,आग लगा दे पूरे शहर में।
जो मीठा बोलूं,अमृत घुल जाए जहर में।
मैं तो बिन तैरे ही, कई नदी पार कर लूं;
बचपन में खेला करता था, बड़ी नहर में।
pk
मुक्तक
मेरे तीखे बोल,आग लगा दे पूरे शहर में।
जो मीठा बोलूं,अमृत घुल जाए जहर में।
मैं तो बिन तैरे ही, कई नदी पार कर लूं;
बचपन में खेला करता था, बड़ी नहर में।
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