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28 Mar 2025 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

मेरे तीखे बोल,आग लगा दे पूरे शहर में।
जो मीठा बोलूं,अमृत घुल जाए जहर में।
मैं तो बिन तैरे ही, कई नदी पार कर लूं;
बचपन में खेला करता था, बड़ी नहर में।
pk

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