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19 Sep 2016 · 1 min read

तुम्हारे चहरे का नगमा पढ़ने तो दीजिये/मंदीप

तुम्हारे चहरे का नगमा पढ़ने तो दीजिये,
मेरे दिल को आपके दिल में उतरने तो दीजिये।

महोबत बन जाये एक रवानगी,
प्यार के इस फूल को खिलने तो दीजिये।

आये कितने भी आधी तूफान,
सासों को शितल हवा की तरह बहने तो दीजिये।

कारवाँ थम जाये देख हमारी महोबत को,
गले से लगा हमारी चाहत महकने तो दीजिये।

हसरत लिए निकला हूँ तुम्हें पाने की,
तेरा हाथ मेरे हाथ में थामने तो दीजिये।

ना भुजे कभी दिया प्यार का,
एक बार प्यार की लौ जलने तो दीजिये।

मिल जाये हक “मंदीप” को अपना,
एक बार दिल में जगह तो दीजिये।

मंदीपसाई

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