रचना

पिल्ला ला दो
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पापा- पापा पिल्ला ला दो
भूरा -काला प्यारा ला दो
नन्हा- सा प्यारा- दुलारा
कूं-कूं करता हो जो
ऐसा पिल्ला ला दो ।
मुन्ना ने खाना छोड़ा,
मुन्ना ने गाना छोड़ा ।
पिल्ले के लिए कर दी कुट्टी,
स्कूल से भी ले ली छुट्टी ।
पापा- पापा पिल्ला ला दो
भूरा -काला प्यारा ला दो
उसके साथ-साथ खेलूंगा
तनिक न उसको छेड़ूंगा
सच्ची- मुच्ची बात ।
सही समय पर रोटी दूंगा,
सही समय पर दूध दूंगा ।
प्यास लगे तब-तब पानी दूंगा,
हरदम उसको प्यार- दुलार दूंगा ।
– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक घर तारौली गूजर, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश 283111