अन्य रंग चमकें तभी, जब पट हो श्वेताभ।

अन्य रंग चमकें तभी, जब पट हो श्वेताभ।
शब्द वहीं पर बोलिए , होय जहाँ कुछ लाभ ।।
कह ‘संगीता’ देखिये, बगिया यह संसार
जैसा बीया बोइये, वैसी खिले बहार ।
खुद को जो नर मान दे , जग में पाए मान ।
खुद को समझे तुच्छ जो, पाये वो अपमान ।।
डॉ. संगीता महेश