अपनो की ही महफ़िल में, बदनाम हो गया हूं।

अपनो की ही महफ़िल में, बदनाम हो गया हूं।
जीवन की इस भीड़ में, गुमनाम हो गया हूं।
अपने ही अल्फ़ाज़ से, भरोसा उठ सा गया है।
अपने ही गुलिस्ताँ में, मैं मेहमान हो गया हूं।
अपना कहें तो किसे, भरोसा रहा नहीं किसी पर।
जिसपर गुरूर था, दागदार वो गिरेबान हो गया है।
श्याम सांवरा….