अचानक!
अचानक!
बदलने लगता है
मन का मौसम
जब वे साथ चलते-चलते
अपनी हथेलियों में भर लेते हैं
कुछ खुरदुरी उॅंगलियाॅं!
वेदनाओं की पलकें बरसने लगती हैं
और..आशाओं की प्रतीक्षित प्रकृति
अपनी पूर्णता के साथ
मुस्कुरा उठती है!
रश्मि ‘लहर’
अचानक!
बदलने लगता है
मन का मौसम
जब वे साथ चलते-चलते
अपनी हथेलियों में भर लेते हैं
कुछ खुरदुरी उॅंगलियाॅं!
वेदनाओं की पलकें बरसने लगती हैं
और..आशाओं की प्रतीक्षित प्रकृति
अपनी पूर्णता के साथ
मुस्कुरा उठती है!
रश्मि ‘लहर’