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18 Feb 2025 · 1 min read

अपने पराए

शीर्षक – अपने पराए
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सच तो कहने की आदत हैं।
सपने और अपने नदारद हैं।

आजकल सपने झूठे होते हैं।
न अपने न सपने अब आते हैं।

पराए कुछ समय बाद बदलते हैं
अपने स्वार्थ और फरेब रखते हैं।

हां सच न अपने न सपने आते हैं।
पराएं तो अवसर देख बदलते हैं।

सच तो बस अपने कर्म कहते हैं।
बस हम सभी अपने पराए होते हैं।

इतिहास गवाह न अपने न पराएं है।
महाभारत रामायण हमें बताती हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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