रौद्र, सममात्रिक,

रौद्र, सममात्रिक,
आधार छंद– अहीर
मापनी– 2212-121
जीवन रहे सुखांत
मत रह कभी उदास, जीवन रहे सुवास।
चाहे जहाँ प्रवास, सुख का, करो न ह्रास ।
आनंद मूल मंत्र, जीवन रहे स्वतंत्र।
बन कर रहो विशेष, मन में रहे न द्वेष।।
मस्ती मिले अनंत, चाहे, प्रजा व संत।
सुख मिले नितांत, जिसका नहीं वृतांत।।
बीते सदा वसंत, उल्लास हो न अंत।
जीवन रहे सुखान्त, बीते नहीं दुखान्त।।
नरेन्द्र सिंह, गया
15.02.2025