Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Feb 2025 · 1 min read

शीर्षक :कइसन बसंत बहार

शीर्षक :कइसन बसंत बहार

ई बसंत बयार कइसन,
चलइत हे ई तो हाही।
रुख बिरीख डोल रहल हे,
बंडोबा मारे ढाही।।

ले डुबतो ई गेहुम के,
दलीहन के फूल झरतो।
हे बरबादी पइदा के,
किसाने पर बजड़ पड़तो।।

जइते माघ कड़र रौदा,
उसट लगे ई अब दिनमा।
एसो ठंडा नहिये पड़ल,
नै भींजल चार महिनमा।।

सुखतो ताल तलैया अब,
पनिया नीचे चल जइतो।
चुअत नै जरीक अगरी त ,
बुझs गरमी बड़ सतइतो।।
नरेन्द्र सिंह
13.02.2025

Loading...