शीर्षक:फिर से उठो

शीर्षक:फिर से उठो
गम व दुःख का तुम त्याग करो,
जिंदगी का गुणा-भाग करो।
क्या पाया,क्या खोया तुमने,
उन सबों का परित्याग करो।।
जो बीता, पीछे छूट गया,
जो लूटा, वो तो लूट गया।
अब निकलो बाहर दलदल से ,
करम सुधारो,जो फूट गया।।
जीवन में कुछ पल आता है,
जो कभी आ रुला जाता है।
जो उसे भूलना सीख लिया,
वही नर फिर सँवर पाता है।।
कहीं तूफान जब आता है,
पक्षी-नीड़ उजड़ जाता है।
किन्तु खग मानता हार कहाँ,
फिर नव बसेरा बनाता है।।
ठीक वैसे ही प्रयास करो,
नवजीवन में उल्लास भरो।
नहीं भाग्य सदैव सोता है,
उठो जागो पुनर्वास करो।।
नरेन्द्रसिंह