” बेहतर युग कलयुग है “
हम त्रेतायुग की बात करें जहाँ अहिल्या छली गई,
पत्नी धर्म निभाने को जहाँ सीता वन में चली गई,
फिर अग्निपरीक्षा देकर भी सीता संशय में बनी रही,
मर्यादापुरुषोत्तम राम रहे, सीता पर उँगली तनी रही,
युगों युगों तक नारी चरित्र पर दाग अनगिनत घने रहे
नर वेश्याओं तक पहुँच के भी चरित्रवान ही बने रहे,
द्वापर में भी आ जाओ जहाँ द्रौपदी को अपमान मिला
जो दांव लगाए पत्नी को उन्हें धर्मराज का नाम मिला,
नही चाहिए त्रेता, द्वापर जहाँ अधिकारों का हनन रहे ,
नारी देवी सम पूजी जाए और नारी का ही पतन रहे,
सच कहती है ज्वाला सबसे बेहतर युग कलयुग है,
समता का अधिकार मिला है नारी हित में ये युग है,