Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 May 2024 · 5 min read

पिता का साया

शीर्षक – पिता का साया
*************
सच मेरा भाग्य और कुदरत के रंग हम सभी को को एक क सच संदेश देती हैं संसारिक सोच हमारी पिता का साया देती हैं। एक सच तो यह बस हम सबका होता हैं पिता का साया ही जीवन में छांव देता हैं। सच तो जीवन के साथ पिता का साया होता है और जिंदगी की धूप छांव का परिचय पिता ही देता है सच तो संदेश यही है पिता का साया ही जीवन की तरक्की और सच होता है। हम सभी जीवन के सच में हम सभी जानते हैं की परिवार और रिश्ते नाते केवल सांसों के साथ होते हैं और समय के साथ-साथ भी जीवन की उतार चढ़ाव और हम सभी सभी को पिता का साया ही जीवन के संग और साथ चलता है। जिससे हम सभी को जीवन की परेशानियों में पिताका साया ही हम सभी को परिवार की खुशी की कोशिश और कुदरत के साथ-साथ हम सभी पिता का साया खुशहाल और सुख-दुख देता है और हम सभी जीवन में सांसों और शब्दों के तार से हम सभी के जीवन का सच पिता का साया होता हैं।
अनिल और अंजू एक ही शहर की रहने वाले थे और दोनों ने कॉलेज में एक साथ पढ़ते हुए अपने घर वालों की मर्जी से जिंदगी के सपने सजाए थे और एक साथ शादी के बंध में बंधे थे। और समय बहुत खुशी से जीत रहा था दोनों एक दूसरे के साथ जीवनसाथी बनकर बहुत खुश थी कुछ समय बाद दोनों ने एक निर्णय लिया कि हम दोनों ज्यादा बच्चे ना पैदा करेंगे। केवल एक बच्चा पैदा करेंगे जो भी होगा वह अच्छा ही एक बच्चे के निर्णय से अंजू भी बहुत खुश थी और अनिल और अंजू ने निर्णय के साथ बच्चे को जन्म देने के लिए तैयारी शुरू कर दी।
ईश्वर के मंदिर जाना भजन करना और दोनों लगन से प्रेम चाहत मोहब्बत रात दिन करने लगे। और दोनों की मोहब्बत का निर्णय एक प्यारा सा बेटा अंजू कुछ दिनों में जन्म देती है और उसे प्यार से बेटे का नाम चेरब रखते हैं। चेरब बचपन से बहुत खूबसूरत और बहुत सुंदर बालक था समय बीते आता है चेरब अनिल और अंजू के देखते-देखते स्नातक की बीसीए परीक्षा पास करता है। और चेरब का दिमाग बचपन से ही कम्प्यूटर में बहुत होशियार था। और चेरब के माता-पिता दोनों ही बहुत खुश नसीब थे और वह अपने जीवन को बहुत सफल मानते थे।
भगवान से तो अनिल ने कुछ महंगाई नहीं था बस भगवान ने उसे सब कुछ पुत्र देकर और अच्छी नौकरी देकर सबको दे दिया था परंतु ईश्वर की खुद की मर्जी के आगे क्या होता है एक पिता का साया आप समझ सकते हैं कि बेटे के लिए क्या होगा अचानक अनिल और अंजू की जीवन में भूचाल आ जाता है और उसकी बेटे को कैंसर हो जाता है। बेटे के ऊपर पिता का साया तो बहुत होता है। परंतु समय के साथ-साथ पिता का साया तो बेटे के साथ मौजूद रहता है परंतु सामने कुछ और मंजूर था अनिल और अंजू दोनों अपने बेटे को इलाज के लिए बड़े से बड़े डॉक्टर के यहां लेकर घूमते रहे और उसके बचने के लिए सभी तरीके के प्रयास और धन दौलत से भी कमी ना रखी।
बेटे के सर पर तो पिता का साया जीवन में बहुत उम्मीद रखता है परंतु उस पिता का क्या होगा जिसका 22 वर्ष का जवान बेटा कैंसर की जिंदगी के साथ-साथ मौत के करीब पहुंच जाता है और एक दिन अनिल और अंजू को डॉक्टर उनके बेटे का आखिरी वक्त बता देता हैं। का निल और अंजू जीते जीते जी मर चुके थे। ईश्वर ने भी अनिल अंजू की प्रार्थना न सुनी और पिता का साया तो बन रहा। परंतु एक जवान बेटे की अर्थी को कंधा देने के लिए बस जीवन का और भाग्य का कुदरत के रंग के साथ एक सच रहता है।
अनिल अपने जवान बेटे की अर्थी को कंधा देता है। और अंजू रो रो कर अनिल से कहती है। मेरे बेटे को मुझे वापस कर दो एक मां का रुदन और अनिल के जीवन की बुझती आशाएं। अनिल और अंजू के हाथ से बेटे की जिंदगी मुठ्ठी में बंद रेत की तरह फिसल जाती है। और ईश्वर भी अंजू और अनिल के कुशल जिंदगी को ना बचा पाए बस पिता का साया एक जवान बेटे की अर्थी को कंधा देने की के लिए काम आया। मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कहता है। सच तो पिता का साया होता है परंतु समय बहुत बलवान वह जीवन में किसके साथ कब क्या कर दे कुछ नहीं पता है। हम सभी जीवन में आज में जीते हैं परंतु कल की बहुत उम्मीद लगती है जबकि हमारे सच के साथ भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कहते हैं कल और कल का क्या भरोसा और अनिल और अंजू वह शहर छोड़ कर दी कहीं दूर चले जाते है।
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच में अनिल ईश्वर से मन ही मां प्रार्थना करता है मुझे कभी किसी जन्म में भी पिता का साया ऐसे मत बनाना और अनिल और अंजू दोनों बेटे की याद में गुमसुम और आंखों में आंसू लिए शहर से बाहर जा रहे होते हैं। और मेरा भाग्य कुदरत के रंग के साथ-साथ अनिल और अंजू अपने जीवन की खुशियों को गमों में बदलते हुए जिंदगी कि अधेड़ उम्र के पड़ाव पर सोचते हुए। लड़खड़ा के लिए कदमों से चले जाने का प्रयास कर रहे हैं परंतु जिसका जवान बेटामर चुकाि हो। वह जीवन में किस तरह जिएगा और क्यों जीऐगा एक पिता अपने बेटे की अर्थी को कंधा देने के बाद पिता का साया तो बस केवल साया ही रह जाता हैं। हम सभी कहानी पढ़ रहे हैं और जीवन के सच में पिता का साया ही जिंदगी का हर पल होता है । मेरा और हम सभी को आग ज और कल पल का सहयोग भी नहीं होता है। सच तो मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच के साथ जीवन में कहानी के सभी पात्र काल्पनिक और शब्दों के एहसास को बनाते हैं।
***********
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.

Language: Hindi
221 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

सुप्रभात
सुप्रभात
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
'प्रेम पथ की शक्ति है'
'प्रेम पथ की शक्ति है'
हरिओम 'कोमल'
एक मन
एक मन
Dr.Priya Soni Khare
कीमत
कीमत
Ashwani Kumar Jaiswal
Nhà cái 009 từ lâu đã trở thành điểm đến hấp dẫn cho nhiều n
Nhà cái 009 từ lâu đã trở thành điểm đến hấp dẫn cho nhiều n
Truong
मैं पर्वत हूं, फिर से जीत......✍️💥
मैं पर्वत हूं, फिर से जीत......✍️💥
Shubham Pandey (S P)
राणा प्रताप
राणा प्रताप
Dr Archana Gupta
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
संजीव शुक्ल 'सचिन'
उलफ़त को लगे आग, गिरे इश्क पे बिजली
उलफ़त को लगे आग, गिरे इश्क पे बिजली
पूर्वार्थ
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
शुरुआत में खामोशी समझने वाले लोग
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
डिजिटल भारत
डिजिटल भारत
Satish Srijan
" शहर के चेहरे "
Dr. Kishan tandon kranti
गीत-2 ( स्वामी विवेकानंद)
गीत-2 ( स्वामी विवेकानंद)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मैं दिन-ब-दिन घटती जा रही हूँ
मैं दिन-ब-दिन घटती जा रही हूँ
Kirtika Namdev
*मेरी गुड़िया सबसे प्यारी*
*मेरी गुड़िया सबसे प्यारी*
Dushyant Kumar
3591.💐 *पूर्णिका* 💐
3591.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
क्रिसमस पर कोमल अग्रवाल की कविता
क्रिसमस पर कोमल अग्रवाल की कविता
komalagrawal750
गुलाम
गुलाम
Punam Pande
नहीं जब कभी हो मुलाकात तुमसे
नहीं जब कभी हो मुलाकात तुमसे
नूरफातिमा खातून नूरी
संवेग बने मरणासन्न
संवेग बने मरणासन्न
प्रेमदास वसु सुरेखा
*यह कैसा न्याय*
*यह कैसा न्याय*
ABHA PANDEY
शिकस्त मिली ओलंपिक में उसका कोई गम नहीं ,
शिकस्त मिली ओलंपिक में उसका कोई गम नहीं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
ज़रूरतों  के  हैं  बस तकाज़े,
ज़रूरतों के हैं बस तकाज़े,
Dr fauzia Naseem shad
रमेशराज के नवगीत
रमेशराज के नवगीत
कवि रमेशराज
प्रेम ईश्वर
प्रेम ईश्वर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ଏହା ହେଉଛି ଭଗବାନଙ୍କ ଭାଗ୍ୟ
ଏହା ହେଉଛି ଭଗବାନଙ୍କ ଭାଗ୍ୟ
Otteri Selvakumar
जो बुजुर्ग कभी दरख्त सा साया हुआ करते थे
जो बुजुर्ग कभी दरख्त सा साया हुआ करते थे
VINOD CHAUHAN
नेता
नेता
OM PRAKASH MEENA
आडू और सेब[ पंचतंत्र की कहानी]
आडू और सेब[ पंचतंत्र की कहानी]
rubichetanshukla 781
होली आई रे
होली आई रे
ARVIND KUMAR GIRI
Loading...