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19 Feb 2025 · 3 min read

"अकेलापन डर या साहस" (लेख)

आज अचानक एक बच्चे को रोता हुआ देखा, मन में ख्याल आया बच्चा इतना क्यों रो रहा है तभी ध्यान गया कि उसकी माँ आसपास नहीं है इस कारण वो रोये जा रहा है……शायद बालक अकेलापन महसूस कर रहा था, उसकी माँ उसके आसपास नहीं थी और वह अपनी आंखें इधर-उधर घुमा रहा था की तभी उसकी मां वापस आ गई है और उसका रोना बंद हो गया और वह शांत हो कर पुनः माँ के आँचल से लिपट गया।
वो बच्चा उस समय शायद अकेलेपन से डर रहा था इस कारण ही वह मां को ढूंढ रहा था।
इसी तरह हमारे अंदर भी कभी ना कभी किसी ना किसी कारण से अकेलापन आता है लेकिन वह अकेलापन इस बच्चे से थोड़ा भिन्न होता है।
हमारा अकेलापन हमें तब घेरता है जब कोई हमारा प्रिय व्यक्ति हमारा प्रिय साथी हमारा प्रिय वस्तु या हमारा प्रिय सपना टूट जाता है, उस वक़्त हम अकेलेपन से घिर जाते हैं।
शायद इसी अकेलेपन से हम सभी असाध्य होकर गुजरते हैं, परंतु यह उस बच्चों के दर्द से थोड़ा अलग और भिन्न है।
हमारा अकेलापन हमें कभी-कभी दुख, पीड़ा, वेदना और अवसाद से भर देता है,
लेकिन यह अकेलापन कभी-कभी हमें आनंद और खुशियाँ भी प्रदान करता है हम कभी-कभी अकेला होना चाहते हैं और उन पलों अहसासों, घटनाओं और यादों को महसूस कर खुशनुमा महौल में जीना चाहते हैं।
अकेलापन एकांत प्रदान करता है अकेला मन इस बात पर भी निर्भर करता है कि हम अकेलेपन को किस रूप में लेते है। अकेलेपन को अकेले होने की भावना से महसूस करते हैं तो हम निराशा से घिर जाते हैं और उस पीड़ा में पहुंच जाते हैं जहां से हमें बाहर आना मुश्किल हो जाता है यदि हम अकेलेपन के जरिए एकांत में प्रवेश कर जाए तो अकेलापन नवजीवनदायक बन जाता है और आनंद की अनुभूति कराता है बस पहलू बदलने की देरी होती है।
ज्यादातर अकेलेपन की तुलना खालीपन से की जाती है जबकि अकेलेपन वह शक्ति है जो तुम्हें अपने आप को ढूंढने में मददगार साबित हो सकता है,आपके अंदर क्या-क्या छुपा है उन सारी चीजों को जानने और सीखने में अकेलापन सहायक होता है तुम्हें और मजबूत बनाने और तुम्हारे गुणों को निखारने में सांचे का काम करता है…….,इस तरह से वो हमे सुअवसर भी प्रदान करता है इसीलिए अकेलेपन से घबराने का नहीं साहस से आगे बढ़ने और अपने आप को जानने का यह प्यार सा मौका होता है।
यह सच है कि कभी-कभी अकेलापन व्यक्ति के जीवन में निराशा की दीमक बन कर चिपक जाता है और उसे बाहर निकलना आसान नहीं होता है। व्यक्ति तमाम तरह की युक्तियाँ सोचता रहता है और समाज से कटा सा रहने लगता है उसकी हंसी उसकी खुशी उसकी संवेदनाएं सब खत्म हो जाती है…….पर फिर भी अकेलापन मनहुसियत नहीं है।
जीवन का एक ऐसा आनंद है जब जहाँ तुम इसमें प्रवेश कर के देखोगे तो तुम्हें एकांत का मतलब समझ आयेगा और तब तुम्हें वाकई शांति और सुकून मिलेगा और तब तुम्हें हर वस्तु अच्छी और सुंदर लगने लगेगी।
ये प्रकृति, पेड़ – पौधे चांद-सितारे परिंदे…….कोयल की मिठी सी आवाज़ तुमहारे कानों में रस घोल जाएगी। अकेलापन तब तुम्हारे सारे सवालों का जवाब बन जाएगा और तब तुम एक नई ऊर्जा एक नई शक्ति एक नए रूप में उज्जवल होगे और तुम तब अपने आप को जान पाओगे अकेलापन निरसता नहीं अकेलापन ऐसा मतवाला मनमोहक साथी है कि जिस दिन तुमने इसे पहचान लिया सारी दीमक तुम्हारे जीवन से छट जायेगी।
हां उस वक्त तुम उस व्यक्ति,साथी दोस्त या वक़्त परस्थिति या कोई ऐसा सपन जो तुमने देखा हो और पुरा ना कर पाए हो, और वक्त ने तुम्हारे साथ कुरुर मजाक किया हो तुम्हारे सपने को तुम्हारी उस परिस्थिति को तुम्हारी विपरीत कर दिया और तुम मायूस होकर टूटकर अकेलेपन का शिकार हो गया हो या फिर जो भी वजह रही हो जिसने तुम्हें अकेला किया उसका जरूर शुक्रिया अदा करना कि उसकी वजह से अपनेआप को जानने में तुम समर्थ हुए उसकी वजह से तुम अपने आप को जान पाए, और उसकी वजह से तुमने वह सब देखा जिससे तुम अब तक अनभिज्ञ थे।
अकेलेपन की शक्ति को पहचानो और उसके अंदर पड़े उजाले को ख़ुद में प्रज्वलित कर दो और उस शक्ति को अपना मार्गदर्शक बना लो और चल पड़ो बिना किसी सहारे के, बिना किसी सहायता के, बिना किसी के सपोर्ट के।
अपने आप को खोजने अपने आप को ढूंढने और अपने आप को फिर से नया जीवन प्रदान करने के लिए।।
मधु गुप्ता “अपराजिता”
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