छुप गया वो चांद देखो,

छुप गया वो चांद देखो,
बादलो में जा कहीं,
जिसे देखने की चाह में,
हम ताकते रहे आसमान को ।
जिनके दिदार में हमने
गुजारी पूरी रात आखों में।
वो दिन होते ही
किसी और के दिल की,
जान बन गए।
रूबी चेतन शुक्ला
लखनऊ
छुप गया वो चांद देखो,
बादलो में जा कहीं,
जिसे देखने की चाह में,
हम ताकते रहे आसमान को ।
जिनके दिदार में हमने
गुजारी पूरी रात आखों में।
वो दिन होते ही
किसी और के दिल की,
जान बन गए।
रूबी चेतन शुक्ला
लखनऊ