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7 Feb 2025 · 1 min read

गुलाब

गुलाब की पंखुड़ियों सी, खिली हो तुम
दिल की बगियन में ऐसे, मिली हो तुम
पतझड सी जीवन में,लायी तुम बहार
खुशबू सी बसने वाली दिल्लगी हो तुम

चांद की चांदनी की, शीतलता हो तुम
काव्य की शब्दों की ,सरलता हो तुम
खूबसूरती अपने में लिए,चमकती हो
खुशबू गुलाब का लिए,दिव्यता हो तुम

Mamta Rani ✍️

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