पाप पुण्य
गंगा किनारे
संतों का मेला है
अखाड़े में ज्ञानी है
नागाओं की कहानी है
कोई कांटों पर लेटा है
कोई कुछ नहीं लपेटा है
कोई हिमालय से आया है
कोई आई आई टी छोड़ आया है
कोई बालपन से साधु है
कोई ढोंग किए बैठा है
बुलेट ट्रेन के जमाने में
पैदल चलवाता है
सेल्फी के चक्कर में
कितनों को नहलाता है
चाहे शरीर अकड़ जाए
हार्ट अटैक आ जाए
दम भी चाहे घुट जाए
गंगा में डुबकी का
लोभ छोड़ नहीं पता है
परिवार के मोह में
सौ बार गिनता है
एक कहीं रुक गया
क्रोध नहीं रुकता है,
फिर भी पुण्य तो कमाना है
गंगा में नहाना है।